हेलो फ्रैंड्स.। इस लेख में हम आपको बताएंगे.। What is Account Rule मतलब खाता नियम क्या है ?, लेकिन फ्रैंड्स पिछले आर्टिकल में हमने आपको बताया था Types of Accounts के बारे में.। अकाउंट कितने प्रकार के होते है?, अगर आपने उस आर्टिकल को अब तक नही पढ़ा है तो एक बार क्लिक करके जरूर पढ़ें.। चलिए अब जानते हैं Account Rule in Hindi के बारे में.।
फ्रैंड्स आज के इस आर्टिकल में आप जानेंगे.। अकाउंट्स रूल क्या होते है? या खाता नियम क्या होता है ?, What is Accounts Basic Rules (लेखा बुनियादी नियम क्या है?), इसके अलावा Golden Rules Of Accounts से संबंधित कुछ जानकारियों को विस्तार से.। तो चलिए फिर जानते हैं खातों में सुनहरे नियम क्या हैं? या गोल्डन रूल्स क्या है? हिंदी में.।
खाता नियम क्या होता है ? - What is Account Rule
Accounts Basic Rules : फ्रेंड्स अगर आप लेखांकन (Accounting) सीख रहे हैं और आप अपनी पुस्तकों को अप-टू-डेट वा नामांकित रखना चाहते हैं तो आपको लेखांकन के तीन नियमों का हमेशा पालन करना होगा. लेकिन क्या आप जानते हैं अकाउंटिंग के भी सुनहरा नियम होता है और शायद ही आपने अपने जीवन में सुनहरे नियम के बारे में सुना होगा. वास्तव में Accounting के तीन सुनहरे नियम होते है जिसके बारे में हम बताने वाले हैं.।
जैसा कि आपने पिछले आर्टिकल में पढ़ा.। Accounts किसी व्यक्ति या वस्तु से संबंधित लेन-देन के सारांश रिकॉर्ड को संदर्भित करता है. उदाहरण के लिए जब कोई इकाई विभिन्न आपूर्तिकर्ताओं और उपभोक्ताओं के साथ लेन-देन करती है तो प्रत्येक आपूर्तिकर्ता और उपभोक्ता का एक अलग खाता होता है खाता किसी भी मूर्त (Tangible) और अमूर्त (Intangible) चीजों से संबंधित हो सकता है जैसे - भूमि, भवन, फर्नीचर, आदि.। किसी भी खाते के बाएं हिस्से को डेबिट ('Dr') पक्ष कहते है, लेकिन दाहिने हाथ को जमा ('Cr') पक्ष कहा जाता है.।
खातों के सुनहरे नियम क्या है ? - What Is Golden Rules Of Accounts
फ्रेंड्स खातों के सुनहरे नियम क्रेडिट और डेबिट पर आधरित होते है यानी Accounting (लेखांकन) का काम क्रेडिट और डेबिट द्वारा संचालित होता है ये एक किताब की दुनिया होती है जिससे Account का काम किया जा सकता है. लेखांकन के सुनहरे सिद्धांतों को जानने से पहले आपको Credit और Debit के बारे में जानना आवश्यक है. क्योंकि प्रत्येक लेन-देन के लिए क्रेडिट और डेबिट रिकॉर्ड करना आवश्यक होता है.।
Credit और Debit आपकी लेखा पुस्तक में समान होता है लेकिन यह एक विपरीत प्रविष्टियाँ होती हैं जो पांच मुख्य प्रकार के खातों को प्रभावित करती हैं.।
1. Assets : वह संपत्तियां जिनका आर्थिक मूल्य होता है और स्वामित्व में होती हैं उदाहरण के लिए नकद, वाहन, भूमि, अन्य उपकरण आदि.।
2. Expenses : व्यवसाय के संचालन में होने वाले व्यय जिसका असर हमारे व्यापार में पड़ता है. उदाहरण के लिए बिजली व्यय, मजदूरी, ट्रांसपोर्ट आदि.।
3. Liabilities : किसी व्यवसाय या व्यक्ति के लिए देय राशि. उदाहरण के लिए सभी देय खाते आदि.।
4. Equity : आपकी संपत्ति आपकी देनदारियों को कम करती है.।
5. Income and Revenue : बिक्री से अर्जित आय.।
Credit : क्रेडिट एक खाते के दाईं ओर की गई एंट्री होती है यानी क्रेडिट देयता और राजस्व खाते को बढ़ाते हैं और संपत्ति तथा व्यय खाते को घटाते हैं.।
Debit : जब कि डेबिट एक खाते के बाईं ओर की गई एंट्री होती है यानी डेबिट व्यय और परिसंपत्ति खाते को बढ़ाते हैं और देयता तथा राजस्व खाते को घटाते हैं.।
कहने का तात्पर्य यह है कि संपत्ति और व्यय Debit द्वारा बढ़ाए जाते हैं और क्रेडिट द्वारा घटाए जाते हैं। देयताएं, इक्विटी और राजस्व खाते क्रेडिट द्वारा बढ़ाए जाते हैं और डेबिट से घटाए जाते हैं.।
Accounting के नियम Debit और Credit के आस पास ही होते है तो चलिए अब जानते है लेखांकन के तीन मुख्य सुनहरे नियम के बारे में.।
➤ लेखांकन के तीन सुनहरे नियम
- देने वाले को Credit करो और पाने वाले को Debit करो.।
- आने वाले को Debit करो और जाने वाले को Credit करो.।
- व्यापार में Credit आय और मुनाफ़ा, Debit आय खर्च और क्षति
उदाहरण के साथ खातों के सुनहरे नियम - Golden Rules Of Accounts With Examples
1. देने वाले को Credit करो और पाने वाले को Debit करो.।
पाने वाले को (Receiver) डेबिट करने और देने वाले को Credit करने का नियम व्यक्तिगत खातों में आते है. एक व्यक्तिगत खाता व्यक्तियों (individuals) या संगठनों (organizations) से संबंधित सामान्य खाता होता है यानी यदि आप प्राप्तकर्ता है और कुछ प्राप्त करते हैं तो देने वाले को क्रेडिट करते है और प्राप्तकर्ता को Debit करते है. चलिए अब सुनहरे नियम के नीचे कुछ उदाहरण देखते है.।
उदाहरण 1-1 (Examples १-१)
मान लेते है कि आप किसी प्रदाता कंपनी से आपने 9,000 Rs. का मोबाइल Purchase किया. तो आपको अपनी पुस्तक में, खरीद को Debit खाते में लिखना होगा और प्रदाता कंपनी को Credit करना होगा.।
Sr. No. : 0001
Date : 00/00/2000
- Dr. : मोबाइल (Purchase)
- Cr. : प्रदाता (giver)
उदाहरण 1-2 (Examples १-२)
मान लेते है कि अपने मोबाइल में किसी प्रदाता कंपनी से Rs. 799 का रिचार्ज कूपन खरीदा तो आप अपनी पुस्तक में, मोबाइल रिचार्ज खाते में Debit लिखना होगा और कैश अकाउंट या बैंक खाते को Credit करना होगा.।
Sr. No. : 0002
Date : 00/00/2000
- Dr. : मोबाइल रिचार्ज (Expences)
- Cr. : कैश अकाउंट/बैंक अकाउंट
2. आने वाले को Debit करो और जाने वाले को Credit करो.।
इस प्रक्रिया में खातों के दूसरे सुनहरे नियम का प्रयोग किया जाता है. जो कि वास्तविक खाते होते हैं, जिसे स्थायी खाते भी कहते हैं वास्तविक खाते साल के अंत में बंद नहीं होते हैं बल्कि उनकी शेष राशि को अगली लेखा अवधि में लिया जाता है.।
वास्तविक खाता या रियल खाता Asset, Liability और Equity Account हो सकता है. वास्तविक खातों में Liabilities, And Equity Accounts शामिल होते है.।
Real Account Rule : जब आपके व्यापार में कोई संपत्ति आती है तो वास्तविक खाते के नियमानुसार उसे किया Debit किया जाता है लेकिन जब व्यापार से कुछ बाहर जाता है तो उस खाते को क्रेडिट करते है. चलिए दूसरे सुनहरे नियम के नीचे कुछ उदाहरण देखते है.।
उदाहरण 2-1 (Examples २-१)
मान लेते है कि अपने व्यवसाय के लिए Rs. 5000 का फ़र्नीचर ख़रीदा है. तो आपको अपने अकाउंट बुक में फ़र्नीचर खाते को Debit करना है और जिस Account से आपने Payment किया है कैश हो या बैंक उसे क्रेडिट करें.।
Sr. No. : 0003
Date : 00/00/2000
- Dr. : फ़र्नीचर (Furniture)
- Cr. : कैश अकाउंट/बैंक अकाउंट
➤ इसे भी पढ़ें.।
- रियल अकाउंट क्या है ?
- वास्तविक खाता क्या है ?
3. व्यापार में Credit आय और मुनाफ़ा, Debit खर्च और क्षति
Accounting यानी लेखांकन का तीसरा सुनहरा नियम नॉमिनल अकाउंट्स या नाममात्र के खातों से संबंधित होता है. ये अस्थायी खाते होते है जिन्हे प्रत्येक लेखा अवधि के अंत में बंद किया जाता है. Nominal Account या नाममात्र खातों में राजस्व, लाभ और व्यय हानि के खाते शामिल होते हैं.।
जब आपके व्यापार में कोई व्यय या हानि होती है तो नाममात्र खाते के नियमानुसार उसे किया Debit किया जाता है लेकिन जब व्यापार मे लाभ या आय होती है तो उस खाते को क्रेडिट करते है.।
उदाहरण 3-1 (Examples ३-१)
➤ Expense & Loss Entry
मान लेते है कि अपने व्यवसाय के संचालन के लिए Rs. 2000 का बिजली बिल जमा किया तो आपको अपने अकाउंट बुक में Electricity Bill खाते को Debit करना है और कैश या बैंक खाते को जिस Account से आपने Payment किया है उसे क्रेडिट करें.।
Sr. No. : 0003
Date : 00/00/2000
- Dr. : बिजली बिल (Electricity Bill)
- Cr. : कैश अकाउंट/बैंक अकाउंट
➤ इसे भी पढ़ें.।
- Real अकाउंट क्या है in Hindi
- पर्सनल अकाउंट क्या है in Hindi
लेखांकन के सुनहरे नियमों का आविष्कार किसने किया था?
Accounting के संस्थापक लुका पैसिओली ने सबसे पहले डबल-एंट्री बहीखाता पद्धति का उल्लेख किया जिसका आज उपयोग किया जा रहा है. स्कॉटलैंड ने उन्नीसवीं शताब्दी में चार्टर्ड एकाउंटेंसी के आधुनिक पेशे को जन्म दिया था. लेखांकन (Accounting) आर्थिक संस्थाओं से संबंधित वित्तीय और गैर-वित्तीय जानकारी के माप, प्रसंस्करण और साझाकरण को संदर्भित करता है.।
लखांकन के 3 प्रकार क्या हैं?
फ्रैंड्स बहीखाता प्रणाली के नियमानुसार लेखांकन तीन प्रकार के होते है जो इस प्रकार से है.।
➢ लेखांकन के 3 प्रकार
- Personal Account (पर्सनल अकाउंट)
- Real Account (रियल अकाउंट)
- Nominal Account (नॉमिनल अकाउंट)
व्यक्तिगत वास्तविक और नाममात्र खाते के नियम बताइये?
फ्रैंड्स आज के इस आर्टिकल में हमने आपको व्यक्तिगत (Individual) वास्तविक (Real) और नाममात्र (Nominal) खाते के नियम के बारे में विस्तार से जानकारी बताई अगर आप Accounts Basic Rules को विस्तार से जानना चाहते है तो इस आर्टिकल को जरूर पढ़ें.।
फ्रैंड्स आज के इस आर्टिकल में हमने आपको व्यक्तिगत (Individual) वास्तविक (Real) और नाममात्र (Nominal) खाते के नियम के बारे में विस्तार से जानकारी बताई अगर आप Accounts Basic Rules को विस्तार से जानना चाहते है तो इस आर्टिकल को जरूर पढ़ें.।
निष्कर्ष
फ्रैंड्स इस आर्टिकल में आपने पढ़ा.। खाता नियम क्या होता है ?, आज हमने आपको Accounts Basic Rules के बारे मे विस्तार से जानकारी बताई.। हम आशा करते हैं कि आपको यह आर्टिकल पसंद आया होगा और इस आर्टिकल को पढ़ने के बाद आप Rules Of Accounts के बारे में जान गए होंगे.।
अगर आपको यह जानकारी अच्छी लगी हो तो आप हमे कॉमेंट करके जरूर बताएं. और इस आर्टिकल को ज्यादा से ज्यादा शेयर करे ताकि इसके बारे में ज्यादा से ज्यादा लोग जान सके.।
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